“तुमसे कितनी बार कहा है कि मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है, जब एक बार बात हो चुकी है, तब तुम क्यों एक ही बात को दोहराती हो” कहते हुए राजेश जी चाय का कप पटक कर बाहर चले गए।
नीता, अपनी गरम चाय में से उठते धुएँ को देखते हुए राजेश की बातों को मन ही मन सोचते हुए यादों की गलियों में चली गई।
“क्या हुआ माँ, पापा आज फिर गुस्से में चाय छोड़ कर चले गए,” 18 वर्ष की कोमल माँ के पास प्यार से बैठते हुए बोली। “नहीं-नहीं बेटा, तुम इन बातों की ओर अपना ध्यान मन लगाओ, केवल अपने कैरियर की ओर देखो, तुम एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती हो न, बस उसपर फोकस करो, “ बेटी के सिर को प्यार से शलताते हुए नीता, अपनी आँखों के आँसू छिपाती हुई, रसोई में चली गई। यही तो वह कोना है जो उसके बहते आंसुओं और दबी सिसकियों को अपने दामन में समेट लेता है।
कुकर पर दाल चढ़ाकर नीता को वह मनहूस फोन की घंटी याद आ गई, जिसने उसकी ही नहीं घर के हर सदस्य की दुनिया ही बदल दी थी।
“हेलो, मैं सुरेश बोल रहा हूँ, इंजिनयरिंग इंस्टीट्यूट से, देखिये आपके बेटे पुनीत की तबीयत बहुत खराब है, आप लोग जल्दी से यहाँ पहुँच जाएँ” सुनते ही नीता-राजेश बदहवास से पुनीत के इंस्टीट्यूट पहुंचे तब तक उनकी दुनिया से पुनीत बहुत दूर जा चुका था।
किसी तरह किचन का काम समेट कर नीता बाहर आकर अभी बैठी ही थी कि फोन कि घंटी ने उसका ध्यान खींच लिया।
“दीदी, क्या अब भी जीजाजी ने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी है, आखिर कब तक वो तुम्हारी सेहत से खेलते रहेंगे “ फोन पर उसकी छोटी बहन सुनीता थी, “जो कुछ हुआ उससे तुम्हें भी तो दुख पहुंचा था, और अब जो कुछ जीजाजी कर रहे हैं, क्या उससे तुम्हारी सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ रहा है” किसी तरह सुनीता को शांत करके नीता पलंग पर लेटकर चलते पंखे को देख रही थी।
“देखो नीता, मैंने डॉक्टर से अपोईंटमेंट ले लिया है, हमें कल शाम को अस्पताल जाना है, तुम तैयार रहना” राजेश के फोन ने नीता को सिहरा दिया। पुनीत के जाने के बाद, राजेश को बिलकुल बदल कर रख दिया है। 55 वर्षीय राजेश, अपनी पचास वर्षीय पत्नी को आईवीएफ के जरिये फिर से गर्भधारण करवाना चाह रहे हैं। सब दोस्त, डॉक्टर यहाँ तक नीता खुद, उन्हें समझा कर हार गई, लेकिन राजेश की पुनीत को वापस दुनिया में लाने की ज़िद को नहीं तोड़ सके।
“देखिये राजेश जी, मैंने आपसे पहले भी कहा था, आपके पहले ही दो अटेम्प्ट फेल हो चुके हैं, नीता जी की उम्र अब गर्भधरण करने के लिए उपयुक्त नहीं है” डॉक्टर ने समझाते हुए कहा।
“देखिये, जब 75 साल की महिला, गर्भ धारण करके संतान पैदा कर सकती है तब नीता तो अभी पचास साल की ही है” राजेश ने कठोर आवाज में कहा तब नीता चुपचाप उस कमरे की ओर बढ़ गई जहां उसका आगे की कार्यवाही होनी थी।
“मुबारक हो आप दो बच्चों के पिता बन गए, लेकिन हमें अफसोस है हम आपकी पत्नी को नहीं बचा पाये” डॉक्टर ने सिर झुका कर कहा।
राजेश अपनी गोदी में खेलते जो नवजात शिशु को देख रहे थे, उनका पुनीत दो रूपों में वापस आ गया था, लेकिन अब उनकी जीवन साथी, उनसे बहुत दूर जा चुकी थी।