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वो क्या था………….आखिर में

Published अप्रैल 2, 2016 by Voyger

“नीलिमा, कैसी हो तुम, ठीक तो हो न, कहीं कुछ हुआ तो नहीं तुम्हें, सब कुछ ठीक है न,” सूरज जैसे एक सांस में सब कुछ जान लेना चाहता था।

नीलिमा ने हँसते हुए कहा…….सब ठीक है यहाँ और मैं भी बिलकुल ठीक हूँ।

“अगर ठीक हो तो इतनी देर से फोन क्यूँ नहीं उठाया तुमने ” सूरज की आवाज में रोष झलक रहा था।

नीलिमा को हंसी आ गयी….ओफ ओह, जरा बाज़ार तक गयी थी और फोन अपने साथ ले जाना भूल गयी,…..और जब याद आयी  सोचा आपका तो अभी कोई फोन आने वाला है नहीं , तो चिंता की कोई बात ही नहीं।

नीलिमा सोच रही थी…….क्या सचमुच सूरज उसे इतना प्यार करता है,

तभी उसे महसूस हुआ, जैसे फोन से कुछ अजीब सी आवाज आयी, ध्यान से सुना तो लगा, सूरज रो रहा है,

नीलिमा ने डरते हुए पूछा, आप ठीक तो हैं न,

उधर से खामोशी की आवाज ने नीलिमा को डरा दिया।,

अभी वो कुछ और कहती, की सूरज की कांपती आवाज सुनाई दी….आगे से कभी अपना फोन न तो बंद करना और न ही अपने से दूर करना। अगर में तुम्हारे पास नहीं हूँ तो समहों,,फोन के जरिये ही तुमसे जुड़ा हूँ,….

नीलिमा का गला भर आया।

वो अब दिन रात उस पल का इंतज़ार कर रही थी जब सूरज आकर उसकी ताईजी से उसे मांग कर अपने साथ ले जाएगा।

नीलिमा का दिन कैसा बिता, उसे किसी बात से अगर कोई तकलीफ हुई तो सूरज उसे समझा कर उसका मूड ठीक कर देता था। अगर नीलिमा की आवाज से सूरज को उसकी उदासी के बारे में पता चलता तो भी सूरज फोन से ही उसका मन बहला देता था।

अब तक सूरज एक बहुत अच्छे दोस्त की भूमिका निभा रहा था,

इस तरह से लगभग एक साल गुज़र गया और इस अवधि में सूरज ने नीलिमा के साथ बहुत अच्छा समय बिताया और दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छे से जान भी गए और पहचान भी गए,।

सूरज और नीलिमा ने तय किया, की अगले माह जब सूरज नाइजीरिया से वापस आएगा तो वो उसके घर आएगा।

आज नीलिमा कुछ उदास थी और इसकी वजह थी, सारा दिन बीत गया और सूरज ने फोन नहीं किया था,

images23फिर उसके दिल ने समझाया, शायद काम में व्यस्तता की वजह से फोन नहीं कर पाया, रात को तो कर ही लेगा।

सारी रात आँखों में कट गयी, और सूरज का फोन नहीं आया,

अगली सुबह हिम्मत कर के उसने सूरज का नंबर डायल किया तो फोन उठाते ही किसी लड़की की आवाज आई,

नीलिमा कुछ पूछती उससे पहले ही सूरज की आवाज आई,,,,,,चिंता न करो, में बिलकुल ठीक हूँ, ऑफिस के कुछ लोगों के साथ घूमने गया था, इसलिए फोन नहीं कर सका, फुर्सत मिलते ही करूंगा,

आज नीलिमा को सूरज की आवाज में थोड़ा अजनबीपन सा महसूस हुआ, फिर उसने अपने ही खयाल को मन से निकाल दिया,

वो बेचारा वहाँ बिलकुल अकेला है , अगर थोड़ी सी मस्ती कर भी ली तो क्या हुआ, नीलिमा को अपने दिल का भरोसा नहीं खतम करना चाहिए,

इसके बाद नीलिमा अपने काम में व्यस्त हो गयी।

आज तीसरा दिन था और सूरज का कोई फोन नहीं आया।

अब नीलिमा को थोड़ी चिंता हो रही थी,

उसने सूरज को ईमेल लिखी और साथ ही चैट करने की भी कोशिश करी,

उसने जैसे ही लॉगिन किया तो देखा, सूरज भी ऑनलाइन है,,,वो खुशी से पागल जैसी हो गयी। उसने फौरन सूरज को मैसेज लिखा , लेकिन उसके ऑनलाइन होते ही देखा , सूरज ने अपना अकाउंट बंद कर दिया।

फिर भी नीलिमा ने अपना मैसेज टाइप कर के भेज दिया और कम्प्युटर बंद कर दिया।

शाम को उसने अपना ऑनलाइन चेक किया तो पाया, सूरज उसदिन की तरह से अपना कम्प्युटर बंद करके चला गया है।

इसका मतलब सूरज ऑनलाइन थे लेकिन उससे से बात नहीं करना चाहते,

अपनी बात की पुष्टि करने के लिए उसने फोन किया तो सूरज ने फोन नहीं उठाया,

नीलिमा की समझ नहीं आया, सूरज ऐसा क्यूँ कर रहा है।

उसके बाद से नीलिमा बुझी बुझी सी  रहने लगी, ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके चेहरे पर से रौनक ही छीन ली हो।

तीन माह बाद, एक दिन सूरज का फोन आया तो मानो नीलिमा के शरीर में प्राण ही वापस आ गए।

वो उस समय अपने बौस के साथ किसी मीटिंग में व्यस्त थी, तो उसने इसी  मैसेज के साथ फोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद जैसे ही वो काम से फारिग हुई, उसने सूरज का नंबर डायल किया।

सूरज ने फोन उठाया और बड़े ठंडे अंदाज़ में नीलिमा से बात चीत शुरू करी, वो नीलिमा के सवालों के जवाब सिर्फ बहुत कम शब्दों में दे रहा था, नीलिमा को यह बात थोड़ी अजीब जरूर लगी, लेकिन उसके लिए यही बहुत था की कम से कम उसकी सूरज से बात तो हो रही है।

कुछ रस्मी बातों के बाद सूरज ने कहा, ‘नीलिमा मेंने बहुत सोचा है और इस नतीजे पर पहुंचा हूँ की में तुमसे शादी नहीं कर सकता, मुझे माफ कर देना, मैं तुम्हारे प्यार के लायक नहीं हूँ, तुम्हें वो प्यार नहीं दे सकता, जिसकी तुम हकदार हो। इसके बाद भी अगर तुम चाहो तो मेरी दोस्त बन कर मुझसे बात कर सकती हो लेकिन मुझसे इसके आगे और कोई उम्मीद न रखना। ‘

नीलिमा का शरीर और दिमाग जैसे सुन्न से हो गए, उसने बड़ी हिम्मत जुटा कर पूछा, “क्या मुझसे कोई गलती हो गयी, अगर ऐसा है तो मैं माफी मांगती हूँ, लेकिन आप दिल तोड़ने वाली बात न करें, मेरे होठों पर हंसी सजा कर उन्हे रोने के लिए मजबूर न करें। ”

“देखो नीलिमा , तुम एक सुलझी हुई और समझदार लड़की हो, तुमसे इस तरह की बातें शोभा नहीं देतीं, तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो और मैं तुम्हें उसी रूप में देखता हूँ, बस इसके आगे और कुछ नहीं है। ” सूरज ने बड़े ठहरे हुए अंदाज़ में कहा।

“ठीक है” नीलिमा ने गहरी सांस भरते हुए कहा, “मैं आगे से आपको परेशान नहीं करूंगी, अगर आपका कभी बात करने का मन करे तो जरूर कीजिएगा” यह कहकर उसने फोन रख दिया।

उसकी तबीयत ठीक न देखकर उसके सहयोगियों ने घर जाने की सलाह दी और उसने उसे मान लिया।

घर आकर, अपने कमरे में लेट गयी, और उसकी आँखों और कानो में सूरज से हुई पहली बात से लेकर आखरी बात तक की घटनाएँ एक फिल्म की तरह आँखों के सामने घूम गईं। images (8)

सूरज का नीलिमा को हर घंटे पर फोन करके उसके बारे में सब कुछ जानना , उसकी हर छोटी बड़ी मुश्किल में उसका साथ देना, मिलने पर घंटो उसका हाथ थाम कर बैठना, और भी न जाने क्या क्या था जो नीलिमा को इस बात का अहसास देता था, की सूरज ने उसे अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना लिया है।

उसने तो अपनी ज़िंदगी अकेले ही बिताने का फैसला कर ही लिया था, ये तो सूरज ही जबर्दस्ती उसकी ज़िंदगी में आया और उसके मन के कोरे कागज पर के सुंदर कविता के रूप में छा गया।

कब उसकी आँखों से आँसू बहने लगे, उसे पता नहीं चला, ताईजी, कितनी बार कमरे में आकर झांक कर चली गईं लेकिन उन्होने अपनी बिटू को डिस्टर्ब न किया।

बार बार उसका दिल और दिमाग यही सोचता रहा, अगर सूरज को उससे प्यार नहीं था, तो वो क्या था,………