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विस्फोट

Published मई 22, 2018 by Voyger

“आज तो मैं अपने दिल की बात कह की ही रहूँगी” कला यह सोचते हुए, लंबे कदमों से बस से उतर कर कॉलेज के गेट के अंदर भागती हुई सी चली गई। यह पता लगाना मुश्किल थे, की माथे पर आए पसीने, अब तक करी हुई भाग दौड़ का परिणाम थे या फिर उस घबराहट के कारण थे, जो उसके दिल में हो रही थी।

girl 2कालेज कैंपस के गलियारों से गुजरते हुए वो  अपनी निर्धारित मंज़िल यानि कैफीटेरिया की ओर बढ़ गई। वहीं तो उसका बेसब्री से इंतज़ार हो रहा था।

“लो, कला भी आ गई”, सबकी गर्दनें एक साथ उस दिशा में घूम गईं जहां की ओर कहने वाले ने इशारा किया था। कला हांफती और अपना दुपट्टा सम्हालते हुए अपने साथियों के ग्रुप में शामिल हो गई।

“कला, देखो….” उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कला बोली, “देखो तुम, पहले मेरी बात सुनो, आज तो तुमको मेरी बात सुननी ही पड़ेगी। आज मैं और कोई बात नहीं सुनूगी“ कला ने अपनी उखड़ी हुई सांस को ठीक करते हुए कहा।

“मैंने सोच लिया है, मैं पुलिस में भर्ती होने का एग्जाम ज़रूर दूँगी, उसके लिए मुझे किसी से मदद लेने की ज़रूरत नहीं है। जो मैंने अब तक शौकिया बच्चों की कहानियाँ और कवितायें लिखी हैं उन्हें एक बच्चों की नयी शुरू होने वाली पत्रिका खरीदना चाहती है। वहाँ से इतने पैसे तो मिल ही जाएँगे की मैं अपने लिए अच्छी किताबें खरीद सकूँ। girl 4इसके अलावा हमारे पड़ोस में रहने वाले शर्मा अंकल से बात कर ली है, मैं उनके प्रोजेक्ट पर बनने वाली सारी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन बनाऊँगी और वो उसके मुझे पैसे दे देंगे। उनसे मेरी पार्ट टाइम नौकरी वाली बात भी पूरी हो जाएगी और घर का खर्च चलाने में मुश्किल नहीं होगी। अब रही पढ़ाई, तो उसके लिए सुबह-शाम का एक घंटा और सभी ज़रूरी क्लास, बस हो गई पढ़ाई” । एक सांस में यह सब बोलकर कला मानों चुक गई और वहीं थक कर बैठ गई।

सारा ग्रुप मुंह बाए उसकी ओर देखता रह गया। हमेशा चुपचाप रह कर गर्दन झुका कर चलने वाली लड़की पुलिस का एग्जाम देगी। न केवल इतना बल्कि बिना घर से निकले अपनी पढ़ाई और घर का खर्च चलाने का इंतेजाम भी कर लिया। किसी का अहसान नहीं और किसी की मदद की गुंजाइश नहीं।

girl 3कला की इस बात से सबके मन में उठते हुए उन सभी सवालों के जवाब मिल गये, जो पिछले सप्ताह उसकी पिता की अचानक मृत्यु के खड़े हो गये थे। ब्रेन हेमरेज होने के कारण पिता को अच्छे अस्पताल में भर्ती करवाया और उसमें उस परिवार की सारी जमा खर्च हो गई। कला के मित्र इस स्थिति से बने हालातों में मदद करने की योजना बना ही रहे थे, की कला ने अपने पत्ते खोल दिये।

मुस्कुराती कला के इस विस्फोट ने सबके चेहरे पर हैरानी मिश्रित मुस्कान ला दी थी।