पुरालेख

All posts for the month मार्च, 2016

वो क्या था….(अब और…)

Published मार्च 30, 2016 by Voyger

सूरज की भेजी हुई तस्वीरों को देख कर नीलिमा एकदम सन्न रह गयी……ये कोई इंसान है या कोई फरिश्ता, देवदूत जैसा रंग-रूप, कामदेव  ने जैसे साक्षात अवतार ले लिया हो। और वही देवदूत उस जैसी साधारण लड़की से बिना देखे, बिना मिले, शादी करने को तैयार है। उसे यकीन नहीं हुआ। इसलिए उसने फिर से पूछा….

‘क्या ये आप हैं !!!!!!’

‘yesss’ 🙂 सूरज ने मुसकुराते हुए जवाब दिया।

‘लेकिन आप मुझसे बिना मिले और बिना देखे, कैसे शादी का फैसला ले सकते हैं? कल अगर आपको अपने फैसले पर विचार करने का मन हुआ तो मेरा तो मज़ाक बन जाएगा न’, नीलिमा ने आंसुओं को रोकते हुए लिखा।

‘नीलिमा, में क्या तुमसे बात कर सकता हूँ, मैं जानता हूँ तुम इस समय रो रही हो, और मैं तुम्हारी आँख में आँसू का कारण नहीं बनना चाहता ‘ सूरज के स्क्रीन पर लिखा हुआ आया….साथ ही उसका फोन नंबर स्क्रीन पर चमक गया।

नीलिमा फिर से चौंक गयी, क्या ये आदमी जादू जानता है……फिर भी कांपते हाथों से नीलिमा ने स्क्रीन पर आए नंबरों को डायल कर दिया।

“नीलिमा, सूरज बोल रहा हूँ।” एक धीर गंभीर आवाज नीलिमा के कानों में सुनाई दी। “पहले तो अपने आँसू पोंछ लो और फिर ध्यान से मेरी बात सुनो। में तुमसे शादी क्यूँ करना चाहता हूँ और तुम्हारे बारे में मेरे क्या खयाल हैं, ये में तुम्हें पहले ही बता चुका हूँ, फिर भी तुम्हारी तसल्ली के लिए जो कहो में करने को तैयार हूँ ” सूरज ने कहा। “इसके बाद में तुम्हें तब तक फोन नहीं करूंगा जब तक तुम खुद नहीं चाहोगी, तुम किसी भी रंग रूप की क्यूँ न हो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे घर में,सिर्फ मेरी चचेरी बहन है ,images जिसे मेरी ज़िंदगी में होने वाली घटनाओं से मतलब है और मैं जानता हूँ, उसने हमेशा मेरे हर फैसले में मेरा साथ दिया है और आगे भी देगी। तुम्हारे परिवार वालों से जैसे तुम कहोगी में मिल लूँगा। आज और इस पल के बाद तुम मेरी ज़िम्मेदारी हो, ये हक़ मैंने खुद लिया है, और में अपना फर्ज और हक़ दोनों बहुत अच्छी तरह से निभाना जानता हूँ। अब सिर्फ तुम्हारी हाँ का इंतज़ार है। अगर तुम वक़्त लेना चाहती हो, तो भी मुझे कोई ऐतराज नहीं है, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर सकता हूँ, चाहे कुछ घंटों का हो या ज़िंदगी भर का। ” नीलिमा एक सांस रोक कर सब कुछ सुन रही थी, और यकीन करने की कोशिश कर रही थी, सोच रही थी, उसकी माँ का सपना, पिता की इच्छा, और उसकी मन की मुराद क्या इतनी खूबसूरत रूप में पूरी होगी।

“मैं तैयार हूँ ” नीलिमा के कांपते और मुसकाते होठों से बड़ी मुश्किल से ये शब्द निकले।

अब खामोश होने की बारी सूरज की थी,,,,’कहीं तुम मेरा इम्तेहान तो नहीं ले रही हो नीलिमा ‘ ऐसा लगा जैसा सूरज की आवाज में कंपन था।

नहीं सनी बाबू… 🙂 नीलिमा ने हँसते हुए कहा।,

हम्म, सूरज ने बड़ी गंभीरता से कहा और फिर अचानक नीलिमा ने देखा सूरज कुछ टाइप कर रहा है, और अचानक सूरज की ओर से फोन की लाईन कट गयी।

“नीलिमा, फोन मैंने काटा है, क्यूंकी अभी में तुमसे चैट पर ही बात करना चाहता हूँ,”

“ऐसा क्यूँ, ?” नीलिमा ने हैरान होते हुए लिखा,

“देखो नीलू , लगभग तीन घंटों से तुम कम्प्युटर पर काम कर रही हो और खाना भी नहीं खाया, पहले खाना खा कर आओ में तुम्हारा यहीं इंतज़ार कर रहा हूँ.”। सूरज के हर एक शब्द से आत्मीयता झलक रही थी। नीलिमा ने बिना कुछ और कहे सिर्फ दो अक्षर,गयी’ok’ चैट विंडो पर टाँक दिये और खाना खाने चली गयी।

खाना खाते समय भी वो सूरज के बारे में ही सोच रही थी, इसलिए जल्दी जल्दी खाना खा कर वापस कम्प्युटर पर आ गयी।

सनी बाबू, नीलिमा ने अपनी ओर से आवाज लगाई,

बोलो नीलू, सूरज ने तुरंत जवाब दिया,

‘अच्छा आपने बताया था, की आप लाओस में हैं और वहाँ इस समय रात है, तो इसका मतलब ये हुआ की अब कुछ ही देर में सवेरा हो जाएगा, तो अब यही ठीक रहेगा की आप थोड़ी देर सो लें जिससे सुबह ठीक से काम कर सकें।’. नीलिमा ने बहुत अपनेपन से लिखा।

जो आज्ञा मैडम जी,….सूरज ने हँसते हुए लिखा और फिर अच्छे बच्चे की तरह उसका स्क्रीन फौरन गायब हो गया।

नीलिमा कुछ देर तक यूं ही बैठी रही। पिछले कुछ घंटों में ऐसा लगा जैसे उसकी दुनिया ही बदल गयी। कोई उसकी ज़िंदगी में आँधी-तूफान की तरह शामिल हो गया था और उसकी हस्ती पर छा गया था।

वो चुपचाप उठी और अपना ऑफिस का बचा हुआ काम पूरा करने लगी। थोड़ी ही देर में वो कुछ घंटे पहले वाली नीलिमा थी जिसे सिर्फ अपने ऑफिस के काम से ही मतलब था। कब शाम हो गयी और कब उसकी ताईजी ने आकर कमरे की लाइट जला दी, उसे पता नहीं चला। माँ के देहांत के बाद नीलिमा की  विधवा ताईजी उसे अपने साथ ले आयीं थी।

बिट्टों, कब से यूं ही काम में जुटी है , कुछ खा पी ले बिटिया, बूढ़ी ताई ने बड़ी ममता से उसके सिर पर हात फेरते हुए कहा।

नीलिमा कुछ कह पाती इससे पहले उसका फोन घनघना गया।, फोन पर सूरज का नंबर चमक रहा था।

नीलिमा के फोन उठाते ही उधर से सूरज की आवाज आई,”अभी तक काम कर रही हो, कुछ खाया तो होगा नहीं”

नीलिमा कुछ देर तक फोन को घूरकर देखती रही, और फिर उसने हँसते हुए कहा, “कहीं आपने मेरे घर में सेंध तो नहीं लगा रखी है या आप कोई जादूगर हैं सनी बाबू.”।

सूरज ठहाका मार कर हंस दिया।

बस इसी तरह से एक अनोखी प्रेम कहानी शुरू हो गयी।

ताई, सूरज और नीलिमा अपनी अपनी जगह खुश रहने लगे थे। जैसे इन सबको वो मिल गया था जो उन लोगों को चाहिए था। सूरज पूरी दुनिया नाप रहा था, और साथ में नीलिमा को हर एक घंटे में फोन करता था। पेरिस, लंदन, श्रीलंका, मुंबई, चेन्नई, नामीबिया और भी बहुत सारी जगह वो घूम रहा था, लेकिन नीलिमा के लिए तो वो सिर्फ एक अंगुल भर दूरी पर था। नीलिमा ने कब क्या किया, क्या नहीं किया, कब वो हँसी, कब वो उदास हुई, इन सबका लेखा जोखा सूरज के पास था और सूरज के पल पल का ब्योरा नीलिमा के पास था। जब भी सूरज भारत में होता था, उसका ज़्यादातर समय नीलिमा के साथ ही व्यतीत होता था। उसने नीलिमा को अपनी बहन से भी मिलवा दिया था और सूरज की बहन नीलिमा से मिल कर बहुत खुश हुई थी।

एक बार सूरज पेरिस में था तो वहाँ उसे दिल्ली में होने वाले बम धमाकों की सूचना मिली। जब उसने नीलिमा को उसका हाल चाल जानने के लिया फोन मिलाया तो कहीं व्यस्त होने के कारण, नीलिमा उसका फोन नहीं उठा सकी। थोड़ी देर बाद नीलिमा ने अपना फोन चेक किया तो वहाँ पीछले एक घंटे में लगभग 20 मिस कॉल थी। वो अभी सूरज को फोन मिलाने ही वाली थी की उसका फोन फिर आ गया और नीलिमा के फोन उठाते ही जैसे सूरज फट सा पड़ा…….

वो क्या था…(अब

Published मार्च 28, 2016 by Voyger

नीलिमा के सवाल ने सूरज को दो पल के लिए सोच में डाल दिया। कुछ पलों तक जब नीलिमा को जवाब नहीं मिला तो उसने घबरा कर पूछा, ‘Are you there’ 😦

सूरज  की ओर से अभी भी जवाब न मिला तो नीलिमा ने फिर से अपना सवाल दोहरा दिया और फिर तुरंत ही लिखा…

‘I am sorry, if I hurt you’ 😦

‘नहीं नहीं’ सूरज ने फौरन लिखा और फिर…

“क्या आप मुझसे शादी करेंगी नीलिमा, में आपसे शादी करना चाहता हूँ “।

नीलिमा को यकीन नहीं हुआ, वो सामने लिखे हुए अक्षरों को ध्यान से देख रही थी और सोच रही थी की वो कहीं कोई सपना तो नहीं देख रही।

‘आप मेरे साथ मज़ाक कर रहे हैं ‘ नीलिमा ने भरसक प्रयास किया लेकिन उसका गुस्सा सामने आ ही गया।

imagesसूरज ने लिखा, ‘नहीं नीलिमा, जो इंसान बिना देखे मेरे मन की बात समझ सकता है में उसके साथ बेहूदा मज़ाक कर के उसे खोना नहीं चाहता । हाँ यह सच है, की तुम्हारे नाम ने ही मुझे तुमसे बात करने की प्रेरणा दी। लेकिन उसके बाद, तुमने जिस तरह से पहले  तो बात करने में रुचि नहीं दिखाई, फिर दो घंटे के इंतज़ार के बाद पूरे धैर्य से मेरी कहानी सुनी और फिर बिना देखे मेरे मन को पढ़ लिया। यह सब बातें तुम्हारी ममतामयी आदत की ओर इशारा करती हैं। इसके अलावा तुमने एक मन से लंबे समय तक कम्प्युटर पर किसी प्रोजेक्ट का काम किया जिससे तुम्हारी पढ़ाई के बारे में पता लग गया। तुमने बातों की जगह अपने काम को प्राथमिकता दी, इससे तुम्हारी काम के प्रति लगन का पता चलता है। मेरी थोड़ा सा ही चुप हो जाने पर तुम बिना गलती के भी माफी मांगने लगीं, जो यह दिखाता है की तुम किसी को चोट नहीं पहुंचा सकतीं। तुम्हारे प्रोफ़ाइल में कहीं भी तुम्हारी फॅमिली का कोई जिक्र नहीं है और फिर इतनी देर में एक बार भी तुमने अपने पति या बच्चों का कोई जिक्र नहीं किया, जिससे तुम्हारे शादी न होने का भी पता चलता है। तो इसलिए में अपना सवाल फिर से दोहराता हूँ,’क्या तुम मुझसे शादी करोगी’… 🙂

‘हे भगवान’ नीलिमा ने गहरी सांस भरते हुए सोचा, और लिखा, ‘आप तो सचमुच कमाल करते हैं ‘ अच्छा एक बात बतायें, आप इस समय घर में कैसे, जबकि आपको तो ऑफिस में काम में बिज़ि होना चाहिए, क्यूंकी आपने बताया की आप अपनी कंपनी के वाइस प्रेडिडेंट हैं। कहीं ऐसा तो नहीं की आप मुझसे झूठ बोल रहे हैं।’

लगभग 2 मिनट बाद सूरज की ओर से कोई फ़ाइल ट्रान्सफर किए जाने की सूचना नीलिमा को अपनी चैट विंडो में मिली जिसे उसने तुरंत स्वीकार कर लिया….

‘ये क्या है …आपका एप्पोइंटमेंट लेटर,’

‘हाँ,’ और इसके बाद कुछ और फाइल्स भेजे जाने की सूचना थी, जिसे नीलिमा ने सेव करके जब खोला तो देखा तो समय समय पर सूरज को कंपनी की तरफ से मिले बधाई पत्र थे जो उसके अच्छे काम करने पर मिले थे । एक पत्र ऐसा भी था जिसमें उसके लाओस जाने का आदेश दिया गया था और यह पत्र, तीन दिन पहले का था,

‘तो क्या इस समय लाओस मैं हैं ‘ नीलिमा नें हैरान होते हुए लिखा।

‘हाँ, और रात होने की वजह से में घर में हूँ और नींद नहीं आ रही थी तो कम्प्युटर पर टाइम बिताने के लिए बैठा  तो देखो तुमसे मुलाक़ात हो गयी’… 🙂

‘लेकिन मेरी शादी क्यूँ नहीं हुई, क्या यह नहीं जानना चाहेंगे आप’…नीलिमा ने पूछा,

‘तुम्हारे अतीत से मुझे कोई फर्क  नहीं पड़ता। तुम्हारा आज और आने वाला कल, जो मुझसे जुड़ा होगा, वो कैसा होगा, बस मुझे यह देखना है, बाकी किसी और बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। किसी भी इंसान को उसकी सीरत से आंकना चाहिए न की उसकी सूरत से, और तुम्हारी सीरत मेंने देख ली है। ‘

नीलिमा सोच में पड़ गयी। या तो ये आदमी वही है जो यह लिख रहा है या फिर बहुत चालाक है।

‘में अभी भी तुम्हारी हाँ का इंतज़ार कर रहा हूँ ‘ इसके साथ ही नीलिमा के चैट विंडो में फोटो शेरिंग की सूचना आई।

नीलिमा ने सभी फोटो खोल कर देखे तो वो सन्न रह गयी…….

 

 

वो क्या था….(उसके बाद)

Published मार्च 27, 2016 by Voyger

“क्या आप मुझसे दोस्ती करना पसंद करेंगी” 🙂

नीलीमा को गुस्सा आ गया, ये तो हद हो गयी, ना जान न पहचान, और चलें हैं दोस्ती करने, हुम्म, उसने फिर से वो चैट विंडो बंद कर दी।

वो अभी अपना काम शुरू करने ही वाली थी की फिर से वही खिड़की खुली एक बहुत लंबे मेसेज के साथ,

“मेरा नाम सूरज है, में एक  मेकनिकल इंजीनीयर हूँ और यहाँ मुंबई में  एक प्रतिष्ठित फ़र्म में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर काम करता हूँ।में आपसे दोस्ती करके आपके बारे में जानना चाहता हूँ। यकीन मानिए में किसी तरह के गलत इरादे से आपसे बात नहीं कर रहा हूँ, ये तो बस आपका नाम मुझे अच्छा लगा, बस इसीलिए आपसे बात कर रहा हूँ। और फिर भी अगर आपको अच्छा न लगे तो फिर आपको परेशान नहीं करूँगा । ” 🙂

पता नहीं क्या जादू था उन शब्दों में की नीलिमा इस बार वो विंडो बंद नहीं कर सकी।

download.png1उसने लिखा, “ठीक है , लेकिन आपको थोड़ा इंतज़ार करना होगा, मैं कुछ जरूरी काम कर रही हूँ, उसके बाद ही आपसे बात कर सकूँगी ” 🙂 🙂

OK…. >:D —सूरज की ओर से लिखकर आ गया।

उसके बाद नीलिमा अपने प्रोजेक्ट के काम में व्यस्त हो गए और दो घंटे कब बीत गए, उसे पता ही नहीं चला। काम पूरा करके जैसे ही वो अपना कम्प्युटर बंद करने वाली थी, तभी उसे सूरज का खयाल आया, ओह, में तो भूल ही  गयी थी, येही सोच उसके शब्दों में बदल कर स्क्रीन पर आ गयी।

सूरज नें तुरंत जवाब दिया, ‘कोई बात नहीं,में समझ सकता हूँ , और हाँ इतने समय में मेरा आपसे दोस्ती करने का इरादा और पक्का हो गया है।’

‘ऐसा क्यूँ ‘ नीलिमा ने हैरान होते हुए लिखा।

‘क्यूंकी जो लड़की  एक कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट को सिर्फ कुछ देर बात करने के लिए दो घंटे का इंतज़ार करवा सकती है , वो कम से कम आज के जमाने की तितली टाइप लड़की तो हो नहीं सकती’ 🙂

‘आपको कैसे पता की मैं काम ही कर रही थी, किसी और से बात करके अपना समय नहीं लगा रही थी, यह भी तो हो सकता है न ‘….

‘हाँ हाँ क्यूँ नहीं हो सकता, लेकिन मैडम शायद आप एक बात भूल रहीं हैं , मुझे मेरी कंपनी ने वाइस प्रेसिडेंट की पोस्ट यूं ही नहीं दे दी। में इन्सानों के चेहरे और कागज पर लिखे हुए शब्दों के असली अर्थ  फौरन पढ़ भी लेता हूँ और समझ भी लेता हूँ ।’

‘हम्म’ नीलिमा ने कुछ सोचते हुए लिखा।’अच्छा चलो मान लिया की आप मुझे अच्छी तरह से पहचान गए, लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा की आपने जो कुछ लिखा है वो सब सही है, बनावट नहीं है। ‘….नीलिमा ने कुछ सोचते हुए आगे लिखा ।

‘बिलकुल ठीक कहा तुमने नीलिमा तुम ही बताओ, में तुम्हें अपनी बातों का कैसे यकीन दिलवाऊँ। जो तुम कहो मैं करने के लिए तैयार हूँ। ‘ सूरज के शब्दों से आत्मीयता की झलक मिल रही थी।

मेरे कुछ सवालों के जवाब दीजिये…नीलिमा ने लिखा,

हाँ हाँ, जरूर….सूरज की ओर से तुरंत जवाब आया।  उसके बाद नीलिमा नें सवालों की बौछार सी कर दी लेकिन सूरज बिना धैर्य खोये, जवाब देता रहा।

नीलिमा ने कुछ सोचते हुए, अपनी और सूरज की बातचीत की हिस्ट्री को चेक किया तो पाया की सूरज उसके सवालों के जवाब तुरंत दे रहा है , जिससे यह पता चलता है की उसके जवाब सच्चे हैं, क्यूँ झूठ बोलने वाला समय लेता है लेकिन सच बोलने में समय नहीं लगता है।

इतनी देर में नीलिमा ने सूरज के व्यक्तिगत जीवन के बारे में सब कुछ पता लगा लिया। “वो एक अनाथ था, जिसे उसके चाचा-चाची ने बड़े अहसानों के साथ पाला था, उस घर में अगर उसका कोई हमदर्द था तो वो थी उसकी चचेरी बहन नीलिमा। उम्र में छोटी पर अहसास में बहुत बड़ी। एक माँ की तरह उसने सूरज को सम्हाला था। नीलिमा ही सूरज के हर आँसू की मूक गवाह थी। माता-पिता ने नीलिमा की शादी कर दी तो नीलिमा ने अपने पति की सहमति से सूरज को अपने घर दिल्ली बुलवा लिया।

images (39)अब तक सूरज पढ़ लिख कर एक काबिल मैकानिकल इंजीनियर बन चुका था। और पढ़ाई पूरी होते ही भारत की प्रतिष्ठित तेल कंपनी ने सूरज को अपने यहाँ अच्छे पद पर नौकरी भी दे दी।

अब चाचा-चाची ने सूरज से अपने अहसानों का प्रतिफल मांगते हुए अपनी पसंद करी हुई लड़की से शादी करने को कहा, जिसे सूरज ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। शादी की रात ही सूरज की पत्नी ने सूरज से एक वचन ले लिया, की वो उससे पत्नी धर्म निभाने के लिए उस पर ज़ोर नहीं डालेग, जिसे सूरज ने, बेमन से ही सही लेकिन मान लिया। लगभग एक वर्ष तक चले इस विवाह में , सूरज की हर कोशिश को उसकी पत्नी नाकाम करती रही और आखिर में एक दिन जब सूरज कंपनी के काम से पेरिस गया था, तो उसकी पत्नी घर में ताला लगा कर, चाबी पड़ोस में देकर कहीं चली गयी।

वापस आपने पर सूरज को घर में पत्नी की जगह इंतज़ार करता हुआ तलकनामा मिला , जिसपर उसकी पत्नी के हस्ताक्षर थे। इस आघात ने सूरज को मौन कर दिया।

यहाँ फिर नीलिमा ने सूरज को सहारा दिया और उसे अपने साथ अपने घर ले आई।”

तो क्या नामों की समानता ने ही सूरज को उसकी ओर आकर्षित किया है….नीलिमा के मन में उठे सवाल ने शब्दों का रूप ले लिया।

 

 

 

वो क्या था….(और फिर…)

Published मार्च 22, 2016 by Voyger

समाज में हँसती मुसकुराती नीलिमा अंदर ही अंदर टूट रही थी। दिन, हफ्तों में बदलते हुए सालों में बदल रहे थे और उसकी कुंडली में बैठे हुए मंगल ने जैसे उसके व्यक्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया था। किसी की भी जीवन संगनी बनने लायक सब कुछ था उसके पास, लेकिन फिर भी वो नजर नहीं थी किसी के पास जो उसकी काबलियत को पहचानकर उसका हाथ थम सके।

यूं तो समाज में इतनी आजादी आ चुकी थी जहां अविवाहित लड़की को गलत नहीं समझा जाता था, लेकिन फिर भी सब के सवाल आँखों ही आँखों में नीलिमा को रोज घायल करते थे।

images (2)उसने अपने आपको व्यस्त करने के लिए अपनी छूटी हुई पढ़ाई फिर से शुरू कर दी और पूरी तरह से मानो उसमें खुद को झोंक दिया। बस नौकरी और पढ़ाई, इसके अलावा उसकी ज़िंदगी में जैसे कुछ रह ही नहीं गया।

उम्र, अंको में तो बदल रही थी लेकिन नीलिमा के सौंदर्य ने तो मानो उम्र का हाथ थामा ही नहीं था, चालीस वर्ष की नीलिमा अभी भी पच्चीस से ज्यादा की नहीं लगती थी, कोई मेकअप नहीं, कोई साज सिंगार नहीं , बस छोटी सी एक बिंदी माथे की शोभा बड़ाती थी और साधारण लेकिन अच्छी तरह से बंधी साड़ी या सलवार कमीज, बस यही सिंगार था नीलिमा का।

ऑफिस से मिले एक प्रोजेक्ट को पूरा करने में जुटी नीलिमा अपने सहयोगी से सोशल मीडिया के मेस्संजर पर बात कर रही थी, अचानक एक अनजान से नाम की चैट खिड़की उसके स्क्रीन पर खुल गई। नीलमा को यह रुकावट पसंद नहीं आई और उसने वह खिड़की तुरंत बंद कर दी। अभी उसने अपना काम दोबारा शुरू ही किया था, की फिर वही अनजान नाम उसके स्क्रीन पर चमक गया। अभी वो उसे फिर बंद ही करने वाली थी की उसके स्क्रीन पर कुछ ऐसा आया की वो ठिठक कर रह गई…….

वो क्या था…….(आगे)

Published मार्च 21, 2016 by Voyger

आप तो बहुत अच्छे लग रहे हैं….शर्माते और झिझकते हुए नीलिमा ने अपने कीबोर्ड पर टाइप किया….

अच्छा !!! हैरान होते हुए सूरज ने अपने स्क्रीन से जवाब दिया, शायद उसे नीलिमा की बात का यकीन नहीं था…

कुछ पलों के लिए नीलिमा पुरानी यादों में खो गयी…उसे भी तो यकीन नहीं हुआ था।

“हमारी नीलिमा तो राजकुमारी है , कोई भी हाथ बड़ा कर इसे मांग लेगा, सुंदरता और विद्या का बहुत अच्छा मेल है, कहाँ देखने को मिलता है ये आज  के जमाने में ” नीलिमा की माँ धूप सेंकते हुए अपनी पड़ोसन सहेली से बतिया रहीं थीं। उनकी आवाज में नीलिमा की माँ होने का गर्व था। और सच कहें तो उनके बात में दम भी था। नीलिमा सचमुच सरस्वती और सुंदरता का अद्भुत संगम थी। इसी लिए उसके माता-पिता को उसके विवाह की कोई परेशानी नहीं थी। क्या कमी है आखिर उसमें। images (38)

अपनी मन मुताबिक शिक्षा और नौकरी लग जाने के बाद नीलिमा के माता-पिता ने अपने सगे संबंधियों में उसकी शादी की बात-चित शुरू कर दी। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया जब पंडित ने नीलिमा के मांगलिक होने की सूचना दी।

‘शर्मा जी’ मंदिर के पूजारी ने अपना पोथा देखते हुए कहा, ‘बिटिया का मंगल तो बहुत भारी है, अगर यूं ही विवाह कर दिया तो वर के जीवन को खतरा हो सकता है। ‘

शर्मा जी सर झुकाये सोचते रहे, भगवान ने भी ये क्या मज़ाक किया है उनके साथ। इतनी सुशील और सर्वगुण सम्पन्न बिटिया और यह अड़चन। अब क्या करें वो।

‘आप क्यूँ इतनी चिंता कर रहे हैं, अरे आज के जमाने में कोई भला इन बातों को मानता है क्या। ‘शर्मा जी की पत्नी ने उन्हे दिलासा देते हुए कहा। ‘और फिर हमारी नीलिमा की शिक्षा और नौकरी किस दिन काम आएगी भला। ‘ हालांकि मन ही मन वो भी डर वो भी गए थीं। ‘हाँ यह भी सही है’ मानो शर्मा जी पत्नी की बातों को मन से सच मान कर अपने को परेशान होने से बचाने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं।

नीलिमा ने अचानक अंदर वाले कमरे से यह सब सुन लिया था और कहीं न कहीं वो अपनी माँ की बात से सहमत थी। कम्प्युटर इंजीनियर लड़की को कोई मंगल या बुध कैसे शादी करने से रोक सकता है। यह विचार मन में आया तो नीलिमा मन ही मन हंस दी और पिता के मन को हल्का करने के लिए, उनके लिए अदरक वाली चाय बनाने को गॅस जला दी।

एक एक करके दिन, महीनों में और महीने सालों में बदल गए और पचीस वर्ष की नीलिमा, पैंतीस की हो गई । उसकी download (19)

कुंडली में बैठे मंगल ने पूरी ताकत से अपना प्रभाव दिखाया और उसके विवाह का प्रयत्न करते करते उसके पिता, स्वर्गलोगवासी हो गए। नीलिमा की माँ की भी शरीर और मन की शक्ति काफी घट गयी। लेकिन उन्होने उम्मीद नहीं छोड़ी।

लेकिन शायद भगवान उन्हे और वक़्त देने को तैयार नहीं थे, एक दिन जब दिन में आराम करने के लिए वो लेटीं तो फिर नहीं उठ सकीं। उनके जाते ही नीलिमा की ज़िंदगी में एक खालीपन सा आ गया।

वो क्या था….

Published मार्च 16, 2016 by Voyger

….नीलिमा को अपने कानों और आँखों पर यकीन नहीं हुआ, क्या वो जो देख रही है और सुन रही है, सपना है या सच है। उसने अपने को यकीन दिलवाने के लिए दोबारा कम्प्युटर के कीबोर्ड पर अपनी उँगलियाँ चलाईं और सामने स्क्रीन पर लिखा हुआ आया………”क्या कहा आपने…” “में तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ “…ये शब्द उस चैट विंडो से आ रहे थे जो याहू मैसेंजर से निकली थी और उस खिड़की के स्वामी का नाम ‘सूरज’था।…….. हैलो…हैलो…हैलो…….उस खिड़की के स्वामी की घबराहट शब्दों के जरिये दिखाई दे रही थी,,,,क्या आप ऑनलाइन हैं,,,,,,,,,,,,हैलो नीलिमा, क्या आप ऑनलाइन हैं ; हाँ हाँ मैं यहीं हूँ, एक दम नीलिमा ने भी जवाब दिया। थैंक गॉड….में तो घबरा ही गया था…..नीलिमा ने हंस कर जवाब लिखा- हाँ वो तो दिखाई ही दे रहा है… क्या मतलब। क्या तुम मुझे देख सकती हो…….सूरज ने बहुत आत्मीयता से पूछा और एक हँसते हुए चेहरा का निशान चैट विंडो पर शब्दों के साथ प्रकट हो गया। 🙂

नहीं आपको तो नहीं लेकिन आपके शब्दों को तो देख ही सकती हूँ, और ये तो आप जानते ही होंगे, शब्द, मन का आईना होते हैं।

images.jpg11

अरे हाँ,,,,में तो भूल ही गया था, में एक लेखिका से बात कर रहा हूँ…सूरज की खिड़की से फिर एक हँसता हुआ चेहरा आ गया। 🙂

क्या आपने अच्छी तरह से सोच लिया है….नीलिमा के हाथों का कंपन अभी थमा नहीं था।

‘अरे हाँ , और क्या , इसमें इतना क्या सोचना, आपको जो कुछ कहना था, कह दिया और जो कुछ मुझे कहना था, वो भी मैंने साफ साफ लिख दिया’,इतना लिख कर सूरज थोड़ा रूक गया, नीलिमा अपनी सांस रोक कर सामने आने वाले शब्दों को जैसे पी रही थी, थोड़ा रुक कर सूरज ने आगे लिखा …अगर आपको कुछ ओर पूछना हे तो पूछ सकती हैं,में सब कुछ सच सच बताने के लिए तैयार हूँ और इसी के साथ, खिड़की पर एक मैसेज आया जिसमें सूरज की ओर से एक तस्वीर भेजी जा रही थी और जिसे नीलिमा को अपने सिस्टम पर सेव करना था। हदबड़ाई नीलिमा ने उस तस्वीर को अपने सिस्टम पर सेव कर लिया और जैसे ही खोल कर देखा….ये मैं हूँ……..शायद सूरज ने उसकी इस प्रक्रिया को अपने सिस्टम से भांप लिया था। सूरज…….ये आप हैं >:D

yessssss……