सूरज की भेजी हुई तस्वीरों को देख कर नीलिमा एकदम सन्न रह गयी……ये कोई इंसान है या कोई फरिश्ता, देवदूत जैसा रंग-रूप, कामदेव ने जैसे साक्षात अवतार ले लिया हो। और वही देवदूत उस जैसी साधारण लड़की से बिना देखे, बिना मिले, शादी करने को तैयार है। उसे यकीन नहीं हुआ। इसलिए उसने फिर से पूछा….
‘क्या ये आप हैं !!!!!!’
‘yesss’ 🙂 सूरज ने मुसकुराते हुए जवाब दिया।
‘लेकिन आप मुझसे बिना मिले और बिना देखे, कैसे शादी का फैसला ले सकते हैं? कल अगर आपको अपने फैसले पर विचार करने का मन हुआ तो मेरा तो मज़ाक बन जाएगा न’, नीलिमा ने आंसुओं को रोकते हुए लिखा।
‘नीलिमा, में क्या तुमसे बात कर सकता हूँ, मैं जानता हूँ तुम इस समय रो रही हो, और मैं तुम्हारी आँख में आँसू का कारण नहीं बनना चाहता ‘ सूरज के स्क्रीन पर लिखा हुआ आया….साथ ही उसका फोन नंबर स्क्रीन पर चमक गया।
नीलिमा फिर से चौंक गयी, क्या ये आदमी जादू जानता है……फिर भी कांपते हाथों से नीलिमा ने स्क्रीन पर आए नंबरों को डायल कर दिया।
“नीलिमा, सूरज बोल रहा हूँ।” एक धीर गंभीर आवाज नीलिमा के कानों में सुनाई दी। “पहले तो अपने आँसू पोंछ लो और फिर ध्यान से मेरी बात सुनो। में तुमसे शादी क्यूँ करना चाहता हूँ और तुम्हारे बारे में मेरे क्या खयाल हैं, ये में तुम्हें पहले ही बता चुका हूँ, फिर भी तुम्हारी तसल्ली के लिए जो कहो में करने को तैयार हूँ ” सूरज ने कहा। “इसके बाद में तुम्हें तब तक फोन नहीं करूंगा जब तक तुम खुद नहीं चाहोगी, तुम किसी भी रंग रूप की क्यूँ न हो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरे घर में,सिर्फ मेरी चचेरी बहन है , जिसे मेरी ज़िंदगी में होने वाली घटनाओं से मतलब है और मैं जानता हूँ, उसने हमेशा मेरे हर फैसले में मेरा साथ दिया है और आगे भी देगी। तुम्हारे परिवार वालों से जैसे तुम कहोगी में मिल लूँगा। आज और इस पल के बाद तुम मेरी ज़िम्मेदारी हो, ये हक़ मैंने खुद लिया है, और में अपना फर्ज और हक़ दोनों बहुत अच्छी तरह से निभाना जानता हूँ। अब सिर्फ तुम्हारी हाँ का इंतज़ार है। अगर तुम वक़्त लेना चाहती हो, तो भी मुझे कोई ऐतराज नहीं है, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर सकता हूँ, चाहे कुछ घंटों का हो या ज़िंदगी भर का। ” नीलिमा एक सांस रोक कर सब कुछ सुन रही थी, और यकीन करने की कोशिश कर रही थी, सोच रही थी, उसकी माँ का सपना, पिता की इच्छा, और उसकी मन की मुराद क्या इतनी खूबसूरत रूप में पूरी होगी।
“मैं तैयार हूँ ” नीलिमा के कांपते और मुसकाते होठों से बड़ी मुश्किल से ये शब्द निकले।
अब खामोश होने की बारी सूरज की थी,,,,’कहीं तुम मेरा इम्तेहान तो नहीं ले रही हो नीलिमा ‘ ऐसा लगा जैसा सूरज की आवाज में कंपन था।
नहीं सनी बाबू… 🙂 नीलिमा ने हँसते हुए कहा।,
हम्म, सूरज ने बड़ी गंभीरता से कहा और फिर अचानक नीलिमा ने देखा सूरज कुछ टाइप कर रहा है, और अचानक सूरज की ओर से फोन की लाईन कट गयी।
“नीलिमा, फोन मैंने काटा है, क्यूंकी अभी में तुमसे चैट पर ही बात करना चाहता हूँ,”
“ऐसा क्यूँ, ?” नीलिमा ने हैरान होते हुए लिखा,
“देखो नीलू , लगभग तीन घंटों से तुम कम्प्युटर पर काम कर रही हो और खाना भी नहीं खाया, पहले खाना खा कर आओ में तुम्हारा यहीं इंतज़ार कर रहा हूँ.”। सूरज के हर एक शब्द से आत्मीयता झलक रही थी। नीलिमा ने बिना कुछ और कहे सिर्फ दो अक्षर,गयी’ok’ चैट विंडो पर टाँक दिये और खाना खाने चली गयी।
खाना खाते समय भी वो सूरज के बारे में ही सोच रही थी, इसलिए जल्दी जल्दी खाना खा कर वापस कम्प्युटर पर आ गयी।
सनी बाबू, नीलिमा ने अपनी ओर से आवाज लगाई,
बोलो नीलू, सूरज ने तुरंत जवाब दिया,
‘अच्छा आपने बताया था, की आप लाओस में हैं और वहाँ इस समय रात है, तो इसका मतलब ये हुआ की अब कुछ ही देर में सवेरा हो जाएगा, तो अब यही ठीक रहेगा की आप थोड़ी देर सो लें जिससे सुबह ठीक से काम कर सकें।’. नीलिमा ने बहुत अपनेपन से लिखा।
जो आज्ञा मैडम जी,….सूरज ने हँसते हुए लिखा और फिर अच्छे बच्चे की तरह उसका स्क्रीन फौरन गायब हो गया।
नीलिमा कुछ देर तक यूं ही बैठी रही। पिछले कुछ घंटों में ऐसा लगा जैसे उसकी दुनिया ही बदल गयी। कोई उसकी ज़िंदगी में आँधी-तूफान की तरह शामिल हो गया था और उसकी हस्ती पर छा गया था।
वो चुपचाप उठी और अपना ऑफिस का बचा हुआ काम पूरा करने लगी। थोड़ी ही देर में वो कुछ घंटे पहले वाली नीलिमा थी जिसे सिर्फ अपने ऑफिस के काम से ही मतलब था। कब शाम हो गयी और कब उसकी ताईजी ने आकर कमरे की लाइट जला दी, उसे पता नहीं चला। माँ के देहांत के बाद नीलिमा की विधवा ताईजी उसे अपने साथ ले आयीं थी।
बिट्टों, कब से यूं ही काम में जुटी है , कुछ खा पी ले बिटिया, बूढ़ी ताई ने बड़ी ममता से उसके सिर पर हात फेरते हुए कहा।
नीलिमा कुछ कह पाती इससे पहले उसका फोन घनघना गया।, फोन पर सूरज का नंबर चमक रहा था।
नीलिमा के फोन उठाते ही उधर से सूरज की आवाज आई,”अभी तक काम कर रही हो, कुछ खाया तो होगा नहीं”
नीलिमा कुछ देर तक फोन को घूरकर देखती रही, और फिर उसने हँसते हुए कहा, “कहीं आपने मेरे घर में सेंध तो नहीं लगा रखी है या आप कोई जादूगर हैं सनी बाबू.”।
सूरज ठहाका मार कर हंस दिया।
बस इसी तरह से एक अनोखी प्रेम कहानी शुरू हो गयी।
ताई, सूरज और नीलिमा अपनी अपनी जगह खुश रहने लगे थे। जैसे इन सबको वो मिल गया था जो उन लोगों को चाहिए था। सूरज पूरी दुनिया नाप रहा था, और साथ में नीलिमा को हर एक घंटे में फोन करता था। पेरिस, लंदन, श्रीलंका, मुंबई, चेन्नई, नामीबिया और भी बहुत सारी जगह वो घूम रहा था, लेकिन नीलिमा के लिए तो वो सिर्फ एक अंगुल भर दूरी पर था। नीलिमा ने कब क्या किया, क्या नहीं किया, कब वो हँसी, कब वो उदास हुई, इन सबका लेखा जोखा सूरज के पास था और सूरज के पल पल का ब्योरा नीलिमा के पास था। जब भी सूरज भारत में होता था, उसका ज़्यादातर समय नीलिमा के साथ ही व्यतीत होता था। उसने नीलिमा को अपनी बहन से भी मिलवा दिया था और सूरज की बहन नीलिमा से मिल कर बहुत खुश हुई थी।
एक बार सूरज पेरिस में था तो वहाँ उसे दिल्ली में होने वाले बम धमाकों की सूचना मिली। जब उसने नीलिमा को उसका हाल चाल जानने के लिया फोन मिलाया तो कहीं व्यस्त होने के कारण, नीलिमा उसका फोन नहीं उठा सकी। थोड़ी देर बाद नीलिमा ने अपना फोन चेक किया तो वहाँ पीछले एक घंटे में लगभग 20 मिस कॉल थी। वो अभी सूरज को फोन मिलाने ही वाली थी की उसका फोन फिर आ गया और नीलिमा के फोन उठाते ही जैसे सूरज फट सा पड़ा…….